उदयपुर। शहर का गुलाबबाग एक है लेकिन उसमें निर्माण को लेकर स्वीकृति के लिए नियम एक समान नहीं है। इसी के चलते यहां राजस्थान सरकार के भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की ओर से संचालित राजकीय सरस्वती पुस्तकालय में अध्ययन के लिए आने वाले युवाओं के बैठने के लिए बनाए जाने वाले हॉल का निर्माण रुकवा सार्वजनिक निर्माण विभाग स्वीकृति नहीं दे रहा।
उदयपुर की जिला कलक्टर आनंदी ने चार-पांच माह पहले गुलाबबाग स्थित सरस्वती पुस्तकालय का अवलोकन किया जहां उपलब्ध अत्यल्प जगह में ठसाठस बैठकर पढ़ने में लगे युवाओं की हालत को देख यहां अतिरिक्त हॉल निर्माण को लेकर पहल की। वर्तमान में पुस्तकालय में तीन सौ से ज्यादा युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां पहुंचते हैं और तीन सौ से ज्यादा युवा पुस्तकालय की सदस्यता लेने के लिए कतार में हैं, जिन्हें स्थानाभाव के कारण सदस्यता नहीं दी जा रही है। बच्चों के हित में जिला कलक्टर आनंदी ने बकायदा संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। कलक्टर का मानना है कि जिस शहर में लाइब्रेरी मजबूत होगी वहां का शिक्षा क्षेत्र ज्यादा मजबूत होगा।
कलक्टर आनंदी ने नगर विकास प्रन्यास के अध्यक्ष के नाते करीब तीन हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल के हॉल निर्माण के लिए यूआईटी से 50 लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी। हॉल निर्माण के लिए टेण्डर भी हो गए। निर्माण के लिए कार्य शुरू करते ही सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने यह कहते हुए काम रुकवा दिया कि बिना स्वीकृति यहां निर्माण नहीं किया जा सकता। तब नोडल अधिकारी मंजू राजपाल ने संभागीय आयुक्त को पत्र लिख बच्चों के हित का हवाला देते हुए निर्माण स्वीकृति देने का आग्रह किया। जवाब तलब करने पर संभागीय आयुक्त को दिए जवाब में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी ने यह टिप्पणी अंकित करते हुए निर्माण स्वीकृति देने में असहमति जता दी कि गुलाबबाग ग्रीन बेल्ट होने से यहां निर्माण स्वीकृति नहीं दी जा सकती है। साथ ही प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव सीके मैथ्यू के आदेश का हवाला भी उसमें दिया।
दूसरी तरफ इसी गुलाबबाग में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने उदयपुर नगर निगम को मसाला सेंटर बनाने की निर्माण स्वीकृति दे दी। हालाकि बाद में मसाला सेंटर का विरोध करते हुए लगाई गई जनहित याचिका पर अदालत ने स्टे लगा दिया। इसी तरह इसी गुलाबबाग में शेर वाले प्रवेश द्वार पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत 20 सीट के टॉयलेट निर्माण की स्वीकृति उसी सार्वजनिक निर्माण विभाग ने दी, जिसने पुस्तकालय के लिए हॉल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की है और यह निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है।
प्याऊ के चक्कर में फंसा हॉल निर्माण
जानकारों का कहना है कि अक्टूबर माह में शहर के एक जनप्रतिनिधि के जन्मदिन के मौके पर उनके प्रशंसक सरस्वती पुस्तकालय के आगे प्याऊ स्थापित करना चाहते थे। उसके लिए यहां प्याऊ का ढांचा भी बना दिया। इसका पता चलने पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्याऊ का निर्माण रुकवा दिया।
तब वहां पहुंचे प्रशंसकों ने सरस्वती पुस्तकालय के हॉल निर्माण पर सवाल उठा यहां तक कह दिया कि अब वे देखते हैं कि यहां हॉल निर्माण कैसे होता है। यह धमकी सुनने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग ने हॉल का निर्माण कार्य भी रुकवा दिया। तब से न तो प्याऊ पूरी बन पाई और न हॉल का निर्माण शुरू हो पाया। अब हॉल के निर्माण स्वीकृति की फाइल संभागीय आयुक्त के पाले में है।