दिल्ली देश की राजधानी, यहां हुए विधानसभा के चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकीं थीं और हो भी क्यों न, यहां मुकाबला एक दीये और तूफान के बीच जो था। एक तरफ थी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी और दूसरी तरफ आम आदमी अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप। भाजपा ने इस चुनाव में अपना पूरा जोर लगा दिया था। 250 सांसद, 6 प्रदेशों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और देशभर से आए कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में प्रचार किया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने यहां रैलियां की और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने आम कार्यकर्ताओं की तरह गली-गली घूमकर चुनाव प्रचार किया। दूसरी तरफ सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी के स्थानीय कार्यकताओं की मेहनत। भाजपा ने इस चुनाव में पाकिस्तान-हिंदुस्तान और रामभक्त हनुमान तक को मुद्दा बनाया। केजरीवाल ने सिर्फ विकास के नाम पर वोट मांगा। भाजपा ने इस चुनाव को मोदी बनाम केजरीवाल करने की भी लाख कोशिशें की गई, लेकिन केजरीवाल ने बड़ी ही विनम्रता से मोदी को अपना प्रधानमंत्री बताकर स्वयं को सिर्फ दिल्ली का बेटा बताया और दिल्ली के दो करोड़ लोगों के दिल में जगह बनाई।
केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों की नब्ज जानकर शिक्षा, स्वास्थ और सुरक्षा को ही अपना मुद्दा बनाया। केजरीवाल ने तो चुनाव प्रचार के शुरू में ही कह दिया था कि अगर दिल्ली की जनता को लगता है कि उन्होंने विकास किया है तो वे आम आदमी पार्टी को वोट दें वरना भाजपा को वोट कर सकते हैं। मंगलवार को आए परिणामों ने बता दिया कि दिल्ली की जनता ने क्या चुना है। परिणामों से साफ है कि धर्म, जात, हिंदुस्तान-पाकिस्तान की बजाय विकास ही चुना गया। यह चुनाव न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल है। केजरीवाल की जीत से यही लगता है कि अब राजनीति के मुद्दे कुछ अलग हो गए हैं। अब जो विकास करेगा, लोगों की बुनियादी जरूरतों की बात करेगा,वही चुनाव जीतेगा। केजरीवाल ने आप कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।