जयपुर। शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र कल 17 अक्टूबर से पूरे देश में शुरू हो रहा है। कलश स्थापना के साथ ही 9 दिन तक मां की गुणगान शुरू हो जाएगा। नवरात्र की शुरूआत शनिवार को होने की वजह से मां दुर्गा इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। देशभर में माता के मंदिरों में कोरोना संक्रमण रोकने के उपाय के साथ मां के दर्शन होंगे। मां के आने और जाने की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है। ऐसी मान्यता है कि यदि नवरात्र शनिवार और मंगलवार से शुरू हो तो मां घोड़े पर सवार हो के आती हैं। रविवार और सोमवार को शुरू होने पर हाथी पर आती हैं जबकि गुरूवार और शुक्रवार होने पर डोली में सवार हो के आती हैं ।
24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमीं दोनों है। लिहाजा 9 दिन व्रत रखने वाले 24 तक व्रत रखेंगे। 25 अक्टूबर को दिन में 11 बजे तक नवमी है, उसके बाद दशमी शुरू हो जाएगी। मां भगवती को पूजने, मनाने एवं शुभ कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम समय आश्विन शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से नवमी तक होता है। आश्विन मास में पड़ने वाले इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र की विशेषता है कि हम घरों में कलश स्थापना के साथ-साथ पूजा पंडालों में भी स्थापित करके मां भगवती की आराधना करते हैं।
शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
सुबह 8 बजकर 16 मिनट से कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है, जो 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। पूरे दिन में कलश स्थापना के कई योग बन रहे हैं। अभिजीत मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम होता है, जो मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक होगा। इस मुहूर्त में भी बड़ी संख्या में लोग कलश स्थापना करके शक्ति की अराधना शुरू करते हैं। इसी दिन दोपहर 2 बजकर 24 मिनट से 3 बजकर 59 मिनट तक और शाम 7 बजकर 13 मिनट से 9 बजकर 12 मिनट तक स्थिर लग्न है। इसमें भी कलश स्थापना की जा सकती है।
तिथि और मां के अवतार का पूजन-:
17 अक्टूबर - प्रतिपदा - घट स्थापना और शैलपुत्री पूजन।
18 अक्टूबर - द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी पूजन।
19 अक्टूबर - तृतीया - मां चंद्रघंटा पूजन।
20 अक्टूबर - चतुर्थी - मां कुष्मांडा पूजन।
21 अक्टूबर - पंचमी - मां स्कन्दमाता पूजन।
22 अक्टूबर - षष्ठी - मां कात्यायनी पूजन।
23 अक्टूबर - सप्तमी - मां कालरात्रि पूजन।
24 अक्टूबर - अष्टमी - मां महागौरी पूजन।
25 अक्टूबर - नवमी, दशमी - मां सिद्धिदात्री पूजन व विजया दशमी।