जयपुर। साल 2020 के आखिरी माह दिसंबर में साल का अंतिम सूर्यग्रहण भी लगने जा रहा है। यह सूर्यग्रहण 14 दिसंबर 2020 को लगेगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा हालांकि भारत में यह दिखाई नहीं देगा। इससे पहले साल का अंतिम चंद्रग्रहण 30 नवम्बर को लगा था। इससे पहले सूर्यग्रहण 21 जून को लगा था। मार्गशीर्ष अमावस्या पर लगनेवाला सूर्यग्रहण साल 2020 का दूसरा और अंतिम सूर्यग्रहण होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण 14 दिसंबर 2020 की शाम को 07:03 बजे शुरू होगा और मध्यरात्रि यानि 15 दिसंबर 2020 की देर रात 12:23 बजे इसका समापन होगा। इस प्रकार सूर्यग्रहण करीब पांच घंटे का होगा।
ये ग्रहण साउथ अमेरिका साउथ अफ्रीका के साथ ही प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा। भारत में दिखाई न देने के कारण इस सूर्यग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। सूर्यग्रहण के दौरान धर्म-कर्म पूजा-पाठ यथावत होते रहेगी। ग्रहण के समय भी मंदिर पूजास्थल पूरी तरह खुले रहेंगे। गौरतलब है कि शास्त्रों में सूर्यग्रहण के दौरान कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूतक से पहले ही खाने और सोने की भी मनाही होती है मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण समाप्ति के बाद गंगा या अन्य पावन नदियों के जल से मंदिरों मूर्तियों का शुद्धिकरण किया जाता है। चूंकि इस ग्रहण का सूतक ही नहीं लगेगा इसलिए मंदिरों में पूजा पाठ सहित धार्मिक कामकाज होंगे।
5 ग्रह होंगे साथ
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 14 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्यग्रहण वृश्चिक राशि में होने जा रहा है यहां सूर्य के साथ चंद्रमा बुध शुक्र और केतु भी मौजूद रहेंगे यानि वृश्चिक राशि में 5 ग्रहों की मौजूदगी में 14 दिसंबर को वृश्चिक राशि में सूर्यग्रहण लगेगा। ऐसे में इस सूर्यग्रहण के बाद देश की राजधानी दिल्ली में बड़े घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं। यह भी एक संयोग है कि वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की जन्म राशि और लग्न भी वृश्चिक ही है जो कि सूर्य ग्रहण के समय पांच ग्रहों के योग से प्रभावित होगा।
सूर्य ग्रहण
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि यह ग्रहण 14 दिसंबर, रविवार को लगेगा। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्ण अमावस्या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्योतिष मान्यता नहीं है।
कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसका समय विदेशों के लिए है। इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर सहित दक्षिण अमेरिका एवं मैक्सिको के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। इसके अलावा यह सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में भी दिखाई देगा।चूंकि यह ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा इसलिए गत चंद्र ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण का भी कोई सूतक काल नहीं होगा एवं इसका यहां कोई प्रभाव नहीं होगा।
क्या होता है सूर्य ग्रहण
सोमेश्वर महादेव मंदिर मालवीय नगर के पुजारी पंडित मदनमोहन शर्मा ने बताया कि जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में आते हैं और सूर्य को चांद ढक लेता है। इससे सूर्य का प्रकाश हो जाता है एवं अंधेरा छाने लगता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसे में वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा नजर आएगा। इसके चलते सूर्य आधार ढंक जाएगा।
सूर्य ग्रहण को सीधे आंखों से नहीं देखने की सलाह
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य ग्रहण को सीधे आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से काफी हानिकारक सोलर रेडिएशन निकलते हैं जिससे कि आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चांद पृथ्वी से बेहद दूर रहने हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आ जाता है। जिससे चांद सूर्य की आधे से ज्यादा रोशनी को रोक लेता है।
सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा
सोमेश्वर महादेव मंदिर मालवीय नगर के पुजारी पंडित मदनमोहन शर्मा ने बताया कि मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसे पी लिया था। यह होते हुए सूर्य और चंद्रमा दोनों ने देख लिया था। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। यह सुन विष्णु जी को बहुत क्रोध आ गया। उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत के चलते उसे मृत्युदंड देने के लिए उस पर सुदर्शन चक्र से वार किया। ऐसा करने पर राहु का सिर उसके धड़ से अलग हो गया। लेकिन उसने अमृतपान किया हुआ था जिसके चलते उसकी मृत्यु नहीं हुई। वहीं, राहु ने सूर्य और चंद्रमा से प्रतिशोध लेने के लिए दोनों पर ग्रहण लगा दिया। इसे ही आज सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है।
सूर्यग्रहण का प्रभाव
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण की छाया भारत में दृश्य नहीं है तो इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं है लेकिन वृश्चिक राशि में सूर्य के पीड़ित होने साथ सूर्य की संक्रांति भी ग्रहण के कुछ समय बाद होने जा रहा है। ऐसे में यह ग्रहण बड़े राजनेताओं के लिए शुभ नहीं है। वराहमिहिर के अनुसार वृश्चिक राशि में लगने वाला ग्रहण विष और रसायनों यानि दवाओं और केमिकल आदि का कार्य करने वालों को सर्वाधिक प्रभावित करता है। वृश्चिक राशि को केमिकल दवाओं और रसायनों की राशि माना जाता है। वृश्चिक राशि में केमिकल और दवाओं के कारक ग्रह चंद्रमा और बुध की युति के चलते दवा और केमिकल बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। पंडित मदनमोहन शर्मा ने बताया कि राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष में विष-वमन यानि झूठे आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अगले 3 महीनों में अपने चरम पर होगी। ग्रहण के समय गुरु की नज़दीकी अंशों में शनि के साथ मकर राशि में बन रही युति के चलते बैंकिंग संगठनों कामगारों और मजदूरों के भी हड़ताल पर चले जाने का संकेत मिल रहा है। ऐसे में कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हो रहा आंदोलन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है जिसके कारण अगले 3 महीने का समय बहुत ही उथल-पुथल भरा होगा।