जोधपुर। भारत अपनी सीमा में किसी भी प्रकार का विकास कार्य करा सकता है। चीन को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं है। चीन यह समझ लें कि अब 1962 जैसा माहौल नहीं है। हम सब तरह से मजबूत हैं। यह कहना है चीन को 62 के युद्ध में दांतों चने चबाने वाले रिटायर्ड ब्रिगेडियर शक्तिसिंह का। ब्रिगेडियर सिंह 1962 में भारत और चीन की लड़ाई लड़ चुके हैं। वे उस समय अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे। मंगलवार को 45 साल बाद लद्दाख में भारत-चीन के सैनिक भिड़ गए और इसमें दोनों देशों के कई जवानों की मौत हो गई। सिंह ने कहा, कि हम अपने देश में सड़क बनाए चाहे एयर स्ट्रीप, किसी भी दूसरे देश को इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। इसमें चीन को ऐतराज करने का हक कैसे हो सकता है।
उन्होंने 1962 का जिक्र करते हुए कहा, कि उस समय हमारा देश चीन से लड़ाई को लेकर बिलकुल तैयार नहीं था। हमारी फौज के पास लड़ने के लिए न तो हथियार थे न इक्विपमेंट। हालांकि यह जवानों का जोश ही था कि लद्दाख के बफीर्ले इलाके में हमारे जवान कमीज व जर्सी में चीन से दो-दो हाथ करने के लिए गए थे। इसी बात से अंदाज लगाया जा सकता हैं, कि हम चीन से उस समय लड़ाई को लेकर कितने तैयार थे। उस दौरान माहौल को देखे तो देश के नागरिक भी जागरूक नहीं थे। अब हालात एकदम बदल गए हैं। हमारे नागरिक भी जागरूक हो गए हैं। खासकर अरुणाचल और लद्दाख के नागरिकों का जोश ही अलग हैं। कुल मिलाकर चीन ये समझ लें कि यह 1962 नहीं, 2020 है। हमारी फौज के पास लड़ाई के पर्याप्त संसाधन है और देश के नागरिकों में भी जोश है।
इनका कहना हैं
-भारत और चीन के बीच जो झड़प हुई है यह दो देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है। इसमें हमें टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज अपने साथ रखना है। आज देश कई तरह के संकटों से जूझ रहा है। ऐसे में जवाबी कार्रवाई करने से पहले देश हित को ध्यान में रखना जरूरी है। जज्बात में आकर किसी तरह की जवाबी कार्रवाई करने से केवल एक हिस्सा ही प्रभावित नहीं होगा बल्कि उसका असर और भी कई इलाकों पर पड़ेगा। वर्तमान में जो स्थितियां है उनसे एक-एक कर निपटा जाए। हमारे देश का नेतृत्व और हमारी सेना किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए सक्षम है। -सेवा निवृत कर्नल जसवंतसिंह बिष्ट
-चीन ने जिस तरह की हरकत की है भारत को इसका जवाब देना ही चाहिए। भारत चीन सीमा का यह पहाड़ी इलाका है। इसकी पूरी जानकारी भारतीय सेना को है। भारतीय सेना महा लड़ाई में सक्षम हैं। चीन के सैनिक पहाड़ी इलाके के इतने जानकार नहीं हैं। आज भारतीय सेना हर तरह से तैयार है। इसलिए चीन को एक बार जवाब देना ही चाहिए। -समीर कुमार मुखर्जी पूर्व सैनिक
-चीन विस्तारवाद के सिद्धांत पर चलने वाला देश है। उसकी नीति केवल और केवल अपने विस्तार व देश के फायरे पर केंद्रित है। इसलविह धोखा देने से भी परहेज नहीं करता। भारत के साथ उसकी दुश्मनी पुरानी है। अमेरिका से भारत के रतिे से भी वह नाखुश है। यह मानना है ब्रिगेडियर फतेहसिंह करमसोत,सेना मेडल (रिटायर्ड) का। सिंह 1971 में लोंगेवाला सेक्टर में 20 लांसर में जवान थे और पास्तान सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था। उनका कहना है कि चीन अमेरिका को मात देना चाहता है। आर्थहि या तकनीकी या फिर शक्तिशाली की बात हो। चीन सुपर पॉवर बनना चाहता है। भारत की अमेरिका से नजदीकी उसे रास नहीं आ रही। इसलिए वह ऐसी हरकतें करता है। उसकी कूटनीति इसी के ईर्द-गिर्द घूमती है कि भारत को बराबर का प्रतिद्धंदी नहीं मानना है। हालांकि यह उसका अहम है और जब भी उसका इगो हर्ट होता है वह भारत को डराने की कोशिश करता है।
उसका मकसद यह भी है कि इससे वह भारत की शक्ति परखता है। हालांकि अब समय बदल गया है। पहले सोवियत रूस होता था और भारत से उसके संबंध थे,लेकिन सोवियत रूस के टुकड़े हो गए और रूस के चाइना से संबंध पहले से बेहतर हो गए इसलिए चीन सुरक्षित महसूस करता है। चीन का भारत से उलझने का एक और खास कारण अमेरिका से नजदीकी है। यह उसे रास नहीं आती। एक और कारण हमने कश्मीर में 370 हटाई, बिना चीन की सलाह के और पीओके पर भी उसकी अनदेखी की है। ऐसे में वह हमें डराने-धमकाने लगता है। भारत को अब चीन को वलर्ड डिप्लोमेसी में उलझाकर रखना चाहिएऔर पाकिस्तान पर अटैक की नीति को बरकरार रखना चाह। इसके अलावा चाइना से डरकर नहीं रहना है और मुंहतोड़ जवाब देना है। और हम इसमें सक्षम भी है। -ब्रिगेडियर फतेहसिंह
-चीन 1957 से लद्दाख और अरुणाचल पर बुरी नजर रख रहा है। चीन का दावा था कि इन दोनों के हिस्सों पर उसका अधिकार है। 1965 और 71 की लड़ाई लड़ चुके रिटायर्ड ले.कर्नल लक्ष्मणसिंह राठौड़ ने नवज्योति को बताया कि 1957 में चीन ने लद्दाख के होट स्प्रिंक पर हमला कर कब्जा कर लयिा था। हमारी सेना के पास हथियार नहीं थे फिर भी लड़ी और कुर्बानियां दी। तिब्बत पर हमले और दलाई लामा को भारत में शरण देने पर भी चीन नाराज की नाराजगी है। चीन ने 1967 में भी सिक्किम में घुसपैठ की कोशिश की थी। चीन लगातार हमारी सीमा में गतिविधियां बढ़ा रहा है,लेकिन हमने सबक नहीं लयिा। इसका नतीजा यह है कि बार-बार चीन हमें आंखें दिखा रहा है, और हम एकदम शांत रहे जबकि चीन ने हमारी सीमा में सड़के व बैरक बनाए, सैन्य हलचल तेज कर कब्जे किए। हालांकि पिछले 7-8 सालों में भारत ने स्थिति सुधारी है और मोदी सरकार के आने के बाद हमने भी अपनी सीमा में एयरफील्व सड़के बनानी शुरू कर दी है। इसी से चीन बौखलाया हुआ है और ऐसी हरकतें कर रहा है,लेकिन अब हालात भारत के पक्ष में है और हम किसी भी दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। -रिटायर्ड ले.कर्नल लक्ष्मणसिंह राठौड़