तो अब पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी जेरेबहस है। बेंगलुरु की रहने वाली 22 साल की दिशा रवि पर भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत राजद्रोह, समाज में समुदायों के बीच नफरत फैलाने और आपराधिक षड्यंत्र के मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिशा रवि ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था और उसके जरिए टूलकिट डॉक्यूमेंट एडिट करके वायरल किया।
भीमा कोरेगांव से जुड़े नए खुलासे किसी बड़ी साजिश का इशारा करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका स्थित एक डिजिटल फोरेंसिक फर्म ने पाया है कि भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रही पुलिस की ओर से मामले के एक आरोपी रोना विल्सन के एक लैपटॉप में मालवेयर का इस्तेमाल करते हुए 'भड़काऊ' सबूत डाले गए थे।
ऐसा लगता है जैसे लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नाजी जर्मनी का इतिहास और खासतौर से रुडोल्फ हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ पढ़कर आए थे। उनने अपने दोनों भाषणों में जो ‘आंदोलनजीवी’ और ‘परजीवी’ जैसे शब्दों का जुमला छोड़ा है, मुमकिन है उसकी प्रेरणा उन्हें वहीं से मिली हो।
तो हर एक गुजरते दिन के साथ मुल्क भर में चल रहा किसान आंदोलन सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। यह आंदोलन दुनिया भर में सरकार के लिए फजीहत का सबब बन चुका है। लिहाजा, मोदी सरकार और उसके नुमाइंदों की हेंकड़ी भी ढिली पड़ती नजर आ रही है। खासतौर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के रवैये में इसकी बानगी देखी जा सकती है।
दिल्ली सहित मुल्क भर में किसानों और आम लोगों ने अबके गणतंत्र दिवस पर भारत में जन आंदोलनों के इतिहास का एक नया अध्याय जोड़ दिया है। आज आलम यह है कि यूपी, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, महराष्ट्र, बिहार, यूपी, आंध्र, तेलंगाना, गुजरात और ओडिशा सहित मुल्क के अधिकतर सूबों में किसान आंदोलन की गूंज सुनाई पड़ने लगी है। लोग अपनी जान की परवाह किए बगैर सड़कों पर उतरकर 3 विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।
तो दिल्ली की सरहदों पर पिछले 2 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के लिए 72वां गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक साबित हुआ है। किसानों ने पूरी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली, पुलिस बैरिकेड तोड़े, लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर किसानी का झंडा फहराया।
तो टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी को बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी पहले से थी। अर्नब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थो दासगुप्ता के बीच 23 फरवरी, 2019 को व्हाट्सएप पर हुई बातचीत का लब्बोलुआब तो यही है।
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के बरक्स 4 सदस्यों की समिति का गठन किया है। मगर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने आंदोलन की खिलाफ जो बात बात कही, वह किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए शर्म का सबब होना चाहिए। मंगलवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली में जारी किसानों के मौजूदा आंदोलन में खालिस्तानी घुसपैठ हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों विवादित कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। साथ ही न्यायालय ने इन कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। अदालत की ओर से गठित की जाने वाली समिति इन कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार करेगी।
किसानों ने अपना संघर्ष और तेज कर दिया है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जुड़ी दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन करे रहे किसानों ने सोमवार सुबह से क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है।