नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीडऩ की 44 में से आठ पीड़िताओं को उनके परिवार को सौंपने का बिहार सरकार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का यह आदेश टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की परियोजना कोशिश की रिपोर्ट पर आया है, जिसमें उसने यह कहा था कि आठ लड़कियों को उनके घर भेजा जा सकता है। ये लड़कियां घर जाने को पूरी तरह तैयार हैं। बिहार सरकार ने भी कोशिश के उस आग्रह पर भी हामी भरी जिसमें उसने इन लड़कियों को वित्तीय, शैक्षणिक और चिकित्सकीय जरूरतें पूरी करने तथा मनोचिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने की सलाह दी थी।
गौरतलब है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ओर से सीलबंद लिफाफे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की गई थी। इंस्टीट्यूट की ओर से न्यायालय को बताया गया था कि कुछ बच्चियों के घर का पता चल गया है और उनके मां-पिता उन्हें वापस लेने को तैयार हैं। एक मामले में बच्ची ने अपने घर का पता बताया है, लेकिन उस पते पर घरवाले नहीं मिले हैं। बच्ची ने घर की लोकेशन बताई है। इससे पहले 18 जुलाई को पीठ ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट' को आश्रय गृह की पीड़ित बच्चियों से बातचीत करने की अनुमति दे दी थी, जिससे उनका पुनर्वास किया जा सके।