नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्ति के लिए नए नियमों के तहत जारी मूल निवास प्रमाणपत्र की नियमावली से संबंधित प्रशासनिक आदेश जारी किए जाने को बुधवार को स्वीकृति प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा (विकेन्द्रीकरण एवं नियोजन) अधिनियम के संबंध में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (राज्य के कानूनों की स्वीकृति) द्वितीय आदेश 2020 को जारी किए जाने को स्वीकृति प्रदान की गई। यह स्वीकृति जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 96 के तहत प्रदान की गई।
यह आदेश जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में हर सरकारी नौकरी में मूल निवास प्रमाणन की शर्तों को अद्यतन करके उनके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करता है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नए मूल निवास प्रमाणपत्र (प्रक्रिया) नियमावली 2020 को लागू कर दिया है। इसी के साथ प्रदेश में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (पीआरसी) की जगह मूल निवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के इलाकों से 1947 में पलायन करके आए 5 लाख से अधिक शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और दूसरे राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के बच्चे भी अब मूल निवास प्रमाणपत्र के हकदार होंगे।
नए नियमों के मुताबिक, कोई व्यक्ति जो जम्मू कश्मीर में कम से कम 15 साल रहा है और 10वीं या 12वीं की परीक्षा यहां के किसी संस्थान से पास कर चुका है तो वह जम्मू-कश्मीर का निवासी कहलाने का हकदार होगा। मूल निवास के नए नियमों से राज्य से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों को जम्मू कश्मीर के मामलों में उनके अधिकार दिलाएगा।