नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर और उससे सटे राज्यों में प्रदूषण फैलाने वाले सावधान हो जाएं। बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए केन्द्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने नए अध्यादेश के जरिए प्रदूषण फैलाने का दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद की सजा भुगतेगा और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है। राष्ट्रपति ने ऑर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है। इसके लिए केंद्र ने एक आयोग बनाया है। यह आयोग एनवायरमेंट पॉल्यूशन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) की जगह लेगा। आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा और इसके आदेश को सिर्फ एनजीटी में ही चुनौती दी जा सकेगी। कोई अन्य बॉडी और अथॉरिटी आदेश पारित नहीं करेगी।
केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के वायु प्रदूषण को देखते हुए 18 सदस्यों का कमिशन बनाया है, जिसका एक चेयरपर्सन होगा जो पूर्णकालीन होगा। ये चेयरपर्सन भारत सरकार के सेक्रेटरी या राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी होंगे। इन 18 सदस्यों में केंद्र सरकार, एनसीआर के राज्यों के प्रतिनिधि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और इसरो के भी प्रतिनिधि भी होंगे। कमिशन के सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा। कमिशन वायु प्रदूषण को रोकने, उपाय सुझाने और निगरानी का काम करेगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को पराली जलाने पर रोक के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी के लिए रिटायर जस्टिस की कमेटी बनाने के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने बताया था कि पराली जलाने से रोकने और एयर पॉल्यूशन की समस्या से निपटने के लिए सरकार एक समग्र कानून लाने जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को उक्त जानकारी दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को पारित अपने उस आदेश को स्थगित कर दी थी, जिसमें पराली मामले को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की कमिटी का गठन का आदेश दिया था।