नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई हुई, जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि विवादित स्थल पर मंदिर का कोई सबूत नहीं है। बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष अपनी दलीलें शुरू की। उन्होंने कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी यह साबित नहीं कर पाया है।
धवन ने दलील दी कि अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील हिन्दू पक्षकार ने दी है, लेकिन पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती। हिंदू पक्षकारों ने आक्रमण पर दलील दी है। मैं उसमें नहीं जाना चाहता। मैं आक्रमण की दलील को खारिज करता हूं। दूसरे पक्षकार यानी हिंदू पक्षकारों में से किसी ने भी तथ्य पर जिरह नहीं की। सिर्फ रंजीत कुमार गोपाल सिंह विशारद के वकील ने तथ्य पर दलील दी है। इससे पहले उन्होंने कहा कि वह अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेंगे।
धवन को लेंगे जिरह से ब्रेक
सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन शुक्रवार को ब्रेक लेंगे। पीठ ने 17वें दिन की सुनवाई जैसे ही शुरू हुई, धवन ने सप्ताह के बीच में बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि इससे संविधान पीठ को परेशानी होगी। उन्होंने कहा, आप चाहे तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं। इसके बाद घवन ने कहा, ठीक है, मैं सहमत हूं।