नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संस्थान के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया। इस दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन आईआईटी खड़गपुर के सिर्फ उन विद्यार्थियों के लिए अहम नहीं है, जिनको डिग्री मिल रही है। आज का दिन नए भारत के निर्माण के लिए भी उतना ही अहम है। मोदी ने कहा कि वर्तमान स्थिति पर नज़र रखते हुए आपको भविष्य का अनुमान भी लगाना चाहिए। छात्रों को उन आवश्यकताओं पर काम करना चाहिए जो 10 साल बाद पैदा हो सकती हैं, भविष्य के लिए नवाचार कर रही हैं। इंजीनियर होने के नाते एक क्षमता आपमें विकसित होती है और वो है चीजों को पैटर्न से पैटेंट तक ले जाने की क्षमता। यानि एक तरह से आपमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की दृष्टि होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? ऐसे बहुत से सवाल आएंगे। इन सवालों का उत्तर है सेल्फ थ्री। इनमें सेल्फ अवेयरनेस, सेल्फ कॉन्फिडेंस और सेल्फलेसनेस है। आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें। मोदी ने कहा कि आप सभी साइंस, टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है। आपने जो सोचा है, आप जिस इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले, लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा, क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे।
मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत की स्थिति भी बदल गई है, ज़रूरतें भी बदल गई हैं और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। अब आईआईटी को इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलॉजी ही नहीं, स्वदेशी प्रौद्योगिकी संस्थान के मामले में नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की जरूरत है। आप ये जानते हैं कि ऐसे समय में जब दुनिया पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का विचार दुनिया के सामने रखा और इसे मूर्त रूप दिया। आज दुनिया के अनेक देश भारत द्वारा शुरू किए गए इस अभियान से जुड़ रहे हैं। आज भारत उन देशों में से है जहां सोलर पावर की कीमत प्रति यूनिट बहुत कम है। लेकिन घर-घर तक सोलर पावर पहुंचाने के लिए अब भी बहुत चुनौतियां हैं। भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी चाहिए जो इनवायर्नमेंट को कम से कम नुकसान पहुंचाए, ड्यूरेबल हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स हो या फिर मॉडर्न कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी, आईआईटी खड़गपुर प्रशंसनीय काम कर रहा है। कोरोना से लड़ाई में भी आपके सॉफ्टवेयर समाधान देश के काम आ रहे हैं। अब आपको हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस को लेकर भी तेज़ी से काम करना है।