हाल ही में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने हार्ट फेलियर विद रिड्यूज्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (एचएफआरईएफ) से पीड़ित वयस्क मरीजों के इलाज के लिए डैपाग्लिफ्लोजिन नाम की दवा को मंजूरी दी है। इससे दिल की बीमारी और हार्ट फेलियर से होने वाली मरीजों की मौत का जोखिम कम होगा।
प्लाज्मा थेरेपी इलाज के लिए पहले भी काम में ली जाती रही है इस समय प्रयोग के तौर पर कोरोना रोगियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। यह जानकारी महात्मा गांधी अस्पताल के ब्लड बैंक एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के निदेशक डॉ. राम मोहन जायसवाल ने दी।
जयपुर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक मरीज के गर्दन के ट्यूमर की जटिल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया है। ऑपरेशन में ट्यूमर को पूरी तरह निकाल दिया गया है। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और खाना-पीना कर रहा है। इसके बाद अब मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई है।
वर्षों पहले लगे पेसमेकर में संक्रमण होने के कारण उसे तार समेत हार्ट से निकालने के जटिल मामले को शहर के डॉक्टर्स ने सफलतापूर्वक कर दिखाया। प्रदेश में पहली बार इस तरह का केस हुआ है जब मरीज को 27 साल पहले लगे पेसमेकर और तार को इंफेक्शन होने पर बिना ओपन हार्ट सर्जरी के हृदय में से निकाला गया। लीड एक्सट्रैक्शन नामक यह प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि तार निकालने में जरा भी चूक होती तो मरीज की उसी समय मौत हो सकती थी।
महात्मा गांधी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने 18 साल से किडनी रोग से पीड़ित युवक की किडनी प्रत्यारोपण कर जान बचाने में सफलता अर्जित की है। डॉ. गोदारा ने बताया कि कोरोना काल में किसी रोगी का किडनी ट्रांसप्लांट बहुत अधिक चुनौती भरा होता है। चिकित्सकों ने यह चुनौती स्वीकार कर आखिरकार राजेश को किडनी ट्रांसप्लांट किया। राजेश को किडनी उसकी धर्मपत्नी वर्षा ने दी।
कैंसर रोगियों को समय पर उपचार मिले और उनकी बीमारी को फैलने से रोका जा सके इसके लिए लॉकडाउन के समय में भी भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर जयपुर की ओर से 10 हजार से ज्यादा कैंसर रोगियों को उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई गई।
आइसक्रीम स्टिक टेक्निक बोन कैंसर से जुझ रहे रोगियों के इलाज की नवीनतम तकनीक के रूप में सामने आई है। इस तकनीक की सहायता से रोगी की कैंसर ग्रसित बोन को लिक्विड नाइट्रोजन की सहायता से कैंसर मुक्त करना संभव है।
ब्रेन ट्यूमर की पहचान होने पर अकसर मरीज अपने जीवन की आशा छोड़ देते थे जबकि ब्रेन ट्यूमर से जिंदगी थम नहीं जाती है। चिकित्सा विज्ञान में आई नई तकनीकें ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के लिए वरदान साबित हुई हैं। जल्दी जांच करवाकर नई तकनीकों से ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब आसानी से संभव है।
बच्चों में ब्लड कैंसर के बाद सर्वाधिक होने वाला कैंसर ब्रेन ट्यूमर है। नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार बड़ों के मुकाबले बच्चों में यह बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इसके लक्षणों को अनदेखा करना हजारों बच्चों के अकाल मौत का कारण बन रहा है।
पूर्णिमा यूनिवर्सिटी तथा जोधपुर स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की ओर से 'एंडगेम ऑफ टबैको: प्रोटेक्टिंग नेक्स्ट जनरेशन' विषय पर इंटरनेशनल वेबीनार आयोजित किया गया। इसमें देश-विदेश के हैल्थ एक्सपर्ट्स व एजुकेशनिस्ट्स ने युवा पीढ़ी को टबैको से बचाव के संभावित तरीकों के बारे में गंभीर चर्चा की।