जयपुर। वैश्विक कोरोना महामारी से दुनिया के 210 देशों में लॉकडाउन की स्थिति है, बावजूद इसके संक्रमितों और कोरोना से मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस जानलेवा वायरस के चलते सभी देशों की अर्थव्यवस्था चरमा रही है। जहां इस रोग के लिए उपयुक्त और 100 प्रतिशत रेपिड टेस्टिंग किट को पाने की होड़ मची है, वहीं इसके इलाज में पूरा विश्व भारत की हॉईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर संशय की स्थिति में है। कोनवेल्सेंट प्लाजमा थेरेपी की जरूरत और सही उपयोग पर भी कई शोध और हयूमन ट्राईल चल हे हैं। एण्टी बॉडी टेस्ट की कई रिसर्च हो रही हैं। ऐसे संकट के समय में अंतरराष्ट्रीय जनरल लंग इंडिया ने अपने ताजा अंक में प्रकाशित रिसर्च पेपर में प्रतिपादित किया है कि अगर गुनगुने पानी के गरारे और नेजल वॉश (जल नेती) को नियमित किया जाए तो कोरोना का संक्रमण जो इंसान के मुंह और गले से होते हुए लंग्स (फेंफड़ों) तक पहुंचता है, उस पर विराम लग सकती है तथा कोरोना के इलाज में मदद मिल सकती है। नेजल वॉश को मेडिकल साइंस में नेजोफैरेंजियल प्रोसेस भी कहते हैं। यानि नाक और गला साफ तो कोरोना बाहर।
इस रिसर्च की प्रमुख वैज्ञानिक और एसएमएस मेडिकल कॉलेज की श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. शीतू सिंह ने बताया कि इस तीव्र व्यवस्थित विश्लेषण (Rapid Systematic Analysis) में सर्दी खांसी और बुखार के रूप में प्रकट होने वाले अपर रेसपीरेटरी वायरल संक्रमण की रोकथाम में गरारे और जल नेती के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण का मूल्यांकन किया गया है। डॉ. शीतू ने कहा कि इस प्रकार की चिकित्सा में कोविड जैसी बीमारियों की रोकथाम में एड ऑन थेरेपी की संभावना है। उन्होंने विशेषज्ञ की देखरेख में नेजल वॉश का सही तरीका सीखने पर भी जोर दिया। उनकी इस शोध के निष्कर्ष से पता चला कि नाक और गले के माध्यम से प्रवेश करने वाले वायरल रोगों की रोकथाम में गरारे और जलनेती से मदद मिलती है। जिस तरह हाथ धोने से हाथ संक्रमण रहित होते हैं, उसी तरह गरारे और नेजल वॉश से नाक और गले की
हुई धुलाई से वायरल लोड को कम किया जा सकता है। गले और नाक के म्यूकोसा की कोशिकाओं में नमक के क्लोराइड आयन हाइपोक्लोरस एसिड (HOCL) में बदल जाते हैं। इसका एंटी वायरल प्रभाव होता है, जिससे गले और नाक के रास्ते में वायरल संक्रमण में कमी आती है। HOCL ब्लीचिंग पाउडर का भी एक सक्रिय घटक है। कोविड-19 के कीटाणुशोधन के लिए हम अकसर हाथ धोने के लिए ब्लीचिंग पाउडर काम में लेते हैं।
इस शोध के अनुसार नियमित गरारे और नेजल वॉशए दिन भर काम करने के बाद कोविड-19 रोग की रोकथाम में भी उपयोगी होसकते है। पहले के अध्ययनों से पता चला है कि जलनेती और गरारे करने से बीमारी की अवधिए बीमारी के लक्षण और वायरल की मात्रा कम हो जाती है। अन्य शोध का रेफरेंस देते हुए इस शोध के ग्रुप लीडर श्वास रोग विशेषज्ञ और राजस्थान हॉस्पीटल के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि एडिनबरा में हुए एक अध्ययन में अपर रेसपीरेटरी वायरल संक्रमण में वायरस के प्रकार का भी अध्ययन किया गया था। दिलचस्प रूप से 56 फीसदी राइनोवायरस और 31 फीसदी कोरोना वायरस थे कोविड नहीं। डॉ. वीरेंद्र ने कहा कि जापान में फेस मास्क और हाथ धोने को इन्फ्लूएंजा नियंत्रण के राष्ट्रीय दिशानिर्देश की निवारक चिकित्सा में भी शामिल किया गया तथा इसी तर्ज पर गरारे और नेजल वॉश कोविड 19 महामारी में व्यक्तिगत पसंद के अनुसार भारत में भी प्रयोग किया जा सकता है।