जयपुर। महात्मा गांधी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने 18 साल से किडनी रोग से पीड़ित युवक की किडनी प्रत्यारोपण कर जान बचाने में सफलता अर्जित की है। हुआ यूं कि एडवोकेट राजेश सिहाग पिछले 18 सालों से किडनी की बीमारी से पीड़ित था। यूरिन में प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा आने तथा क्रिएटिनिन के अधिक बढ़ने के कारण किडनी में इंफेक्शन से परेशान था। राजेश के जीवन जीने का आधार मात्र डायलिसिस और दवा ही रह गया था फिर भी क्रिएटिनिन कम नहीं हो रहा था। उसकी यह दशा देखकर परिवारजन उसे महात्मा गांधी अस्पताल लेकर आए जहां उसने नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सूरज गोदारा को दिखाया। तो उन्होंने रोग की गंभीरता को देखते हुए भर्ती कर किडनी ट्रांसप्लांट का प्लान किया।
डॉ. गोदारा ने बताया कि महात्मा गांधी अस्पताल में 350 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। यहां की सफलता दर विश्वस्तरीय है। कोरोना काल में किसी रोगी का किडनी ट्रांसप्लांट बहुत अधिक चुनौती भरा होता है। चिकित्सकों ने यह चुनौती स्वीकार कर आखिरकार राजेश को किडनी ट्रांसप्लांट किया। राजेश को किडनी उसकी धर्मपत्नी वर्षा ने दी। राजेश की पत्नी वर्षा सिहाग का कहना है अपने सुहाग की रक्षा के लिए जब किडनी डोनेट करने की जरूरत हुई तो मैंने सबसे किडनी डोनेट की। वहीं राजेश ने कहा कि महात्मा गांधी अस्पताल के चिकित्सकों ने मुझे नया जीवन दिया है। मुख्य किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. टीसी सदासुखी ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव के तौर पर पहले रोगी तथा डोनर की कोरोना वायरस जांच करवाई गई। ट्रांसप्लांट में विशेष सावधानी बरती गई। इसके बाद गहन चिकित्सा ने भी विशेष एहतियात रखा जा रहा है। डोनर की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई है, अब रेसिपीएंड की घर वापसी होगी। ऑपरेशन टीम में डॉक्टर टीसी सदासुखी के अलावा सूरज गोदारा, एचएल गुप्ता, मनीष गुप्ता, डॉ. विपिन गोयल शामिल थे।