जयपुर। स्पोर्ट्स मेडिसिन में अब ऐसी तकनीक आ गई है, जिसमें वेट लिफ्टर या दूसरे एथलीट्स अपनी मांसपेशियों पर एक जैसा दबाव बनाए रखेंगे और उनकी क्षमता बढ़ा सकेंगे। इस आइसोकाइनेटिक टेस्टिंग तकनीक से खिलाड़ी अपने हर शारीरिक कोण पर समान दबाव बनाकर अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं। इसके साथ ही इससे मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या भी दूर हो सकेगी। एक अन्य वीओटू मैक्स तकनीक से खिलाड़ी अपने शरीर की ऑक्सीजन खपत की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर अपनी प्रदर्शन में सुधार कर सकेंगे।
शहर में चल रही नेशनल स्पोर्ट्स इंजरी कॉन्फ्रेंस आईएएसएमकॉन में देश-विदेश से आए नामी विशेषज्ञों ने ऐसी जानकारी दी। कॉन्फ्रेंस के आयोजक डॉ. विक्रम शर्मा ने बताया कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में खेल के दौरान लगने वाली चोटों, उनसे बचाव, डोपिंग, न्यूट्रिशन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो रही है। कॉन्फ्रेंस का आयोजन एशियन फुटबॉल कॉन्फेड्रेशन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई), ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन, आरसीए, जेएमए के सहयोग से किया जा रहा है। कॉन्फ्रेंस में स्पोर्ट्स इंजरी विशेषज्ञों के साथ खिलाडिय़ों, कोच, फिजीयोथेरेपिस्ट, जिम ट्रेनर ने भी भाग लिया और खेल के दौरान लगने वाली चोटों व प्रदर्शन को बेहतर बनाने के संदर्भ में सवाल-जवाब भी किये। आयोजन समिति के डॉ. कपिल देव गर्ग ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन हुआ।
मांसपेशियों के दबाव पर रहेगी नजर
इंडियन हॉकी टीम के फीजियोथेरेपिस्ट डॉ. अयंगर ने बताया कि आइसोकाइनेटिक टेस्टिंग तकनीक में ऐसी सेंसरयुक्त मशीनें आ गई हैं, जो खिलाड़ी की सभी मांसपशियों पर बराबर दबाव बनाकर रखेगी। गुरुत्वाकर्षण बल के तहत यह तकनीक खिलाड़ी की हर मांसपेशियों पर नजर रखेगी और उनकी क्षमता बढ़ायेगी। इससे खिलाड़ी की क्षमता बढ़ऩे के साथ ही मसल इंजरी से भी बचाव होगा।