जयपुर। कोरोना का समय जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, इसके इलाज और इम्यूनिटी पावर से संबंधित सवालों के जवाब मिल रहे हैं। कुछ देशों से कोरोना की वैक्सीन तैयार करने का दावा भी किया है लेकिन उसके बारे में कुछ स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आ रही है। वहीं कोरोना केसों में हो रही वृद्धि के कारण आमजन में हर्ड इम्यूनिटी बढ़ने की चर्चा भी चल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मामलों की वृद्धि लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने की संभावना को बढ़ा रही है।
शरीर में होती है दो तरह की इम्यूनिटी
सीनियर फिजिशियन और क्रिटीकल केयर एक्सपर्ट डॉ. पंकज आनंद ने बताया कि आमतौर पर लोगों को यही पता है कि हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ने के लिए इम्यूनिटी सिस्टम होता है। लेकिन इम्यूनिटी दो तरह की होती है, इनेट इम्यूनिटी और अडेप्टिव इम्यूनिटी। इनेट इम्यूनिटी में कोई भी वायरस इंफेक्शन बॉडी में आता है तो इम्यून सिस्टम तुरंत प्रतिक्रिया देता है। यह उस वायरस के खिलाफ कोई निश्चित एक्शन नहीं होता। इसकी घंटों में प्रतिक्रिया आती है और यह कम समय के लिए काम करता है। वहीं अडेप्टिव इम्यूनिटी बीमारी होने के 1-2 सप्ताह में एक्टिवेट होती है। यह वायरस की बीमारी विशेष होती है।
अधिक लोगों तक वायरस फैले तो होगी हर्ड इम्यूनिटी
डॉ पंकज आनंद ने बताया कि किसी मरीज को एक से ज्यादा बार इंफेक्शन होगा या एक बार टीका लग जाने पर उससे जिंदगीभर सुरक्षा होगी कि नहीं, इसका कोई आसान जवाब नहीं है। इस बारे में कुछ शोध हुए हैं जिसमें यह सामने आया है कि एक बार संक्रमण होने पर हमारे शरीर में लंबे समय के लिए इम्यूनिटी पावर विकसित हो सकती है। अडेप्टिव इम्यूनिटी में कुछ ऐसे सेल्स होते हैं जो शरीर में सालों तक होते हैं और वापस बीमारी होने पर उसके खिलाफ काम करते हैं। एक देश या कम्यूनिटी में अधिकांश नागरिकों में इम्यूनिटी विकसित हो जाए तो वह हर्ड इम्यूनिटी कहलाती है। उनमें फिर से इंफेक्शन नहीं होता और वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर नहीं हो पाता।
हर्ड इम्यूनिटी के दो तरीके
हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने के दो तरीके हैं। पहला जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा संक्रमित हो जाएं जो करीब 60 प्रतिशत लोग हों। ऐसे हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो सकती है। वहीं अगर 50 से 60 प्रतिशत लोगों को टीका लग जाए और वह प्रभावी हो तो वायरस को ट्रांसफर होने का जरिया नहीं मिलेगा।
वैक्सीन की तैयारी अंतिम चरणों में
डॉ. पंकज ने बताया कि कई जगहों पर वैक्सीन अंतिम चरणों में हैं। वैक्सीन का काम आपके शरीर में रोग के खिलाफ इम्यूनिटी को बढ़ाता है। अधिकतर मरीज जो कोविड के मर रहे हैं, उनकी इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण नहीं मर रहे, उनकी इम्यूनिटी अतिप्रतिक्रिया दे रही है। इसीलिए वैक्सीन को तैयार करने में भी काफी सावधानी बरती जा रही है। दिसंबर तक कोरोना की वैक्सीन आने की संभावना है।