जयपुर। राजस्थान में कोरोना महामारी के कारण अंधता से जूझ रहे हजारों लोगों के जीवन में रोशनी का इंतजार और लंबा हो गया है। संक्रमण के खतरे के चलते आंखें यानि कॉर्निया दान करने की रफ्तार पर ब्रेक से लग गए। प्रदेश में इस साल मार्च में कोरोना की दस्तक के बाद से कार्निया दान होने की प्रक्रिया एक तरह से थम सी गई। राजस्थान में पिछले साल जहां 1741 लोगों ने मरणोपरांत अपनी आंखें दान की थी, इनमें से 1293 अंधता पीड़ित लोगों को कार्निया ट्रांसप्लांट कर उनके जीवन को रोशन किया गया था। वहीं इस साल केवल 219 लोगों की मरणोपरांत कार्निया दान हो सकी है और केवल 187 लोगों को कार्निया ट्रांसप्लांट हुआ है।
13 साल में सबसे कम नेत्र दान
प्रदेश में वर्ष 2007 में 306 आंखें दान हुई थी। इसके बाद वर्ष 2012 के बाद से हर साल 1 हजार से ज्यादा ही आंखें दान हुर्इं हैं। कोरोना महामारी के कारण 13 साल बाद रिकॉर्ड कम आंखें दान हुई है। राजस्थान आई बैंक सोसायटी के अध्यक्ष बीएल शर्मा ने बताया कि तीन माह में आंखें दान कराने की प्रक्रिया को फिर से गति मिली है। इनमें से अस्सी फीसदी ट्रांसप्लांट की गई हैं।
क्यों थमा डोनेशन, कोविड जांच के बाद ही अब डोनेशन
कोरोना संक्रमण के चलते आंखों में भी वायरस का संक्रमण होने का खतरा रहता है। आई बैंक सोसायटी के वॉलेंटियर्स और कार्निया निकालने वाले टैक्नीशियन और डॉक्टरों को भी संक्रमण लगने का खतरा इससे हो सकता था। ऐसे में कार्निया का डोनेशन मार्च से जुलाई माह तक लगभग बंद सा हो गया था। आई बैंक सोसायटियों का काम ठप हो गया था। आंखें दान नहीं हो सकी थी। बाद में कोरोना गाइडलाइन का प्रोटोकॉल का कार्निया डोनेशन से पहले पालन कर जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. केके शर्मा ने डोनेशन की प्रक्रिया को रफ्तार देने की कोशिश की। इसके तहत अब मरणोपरांत परिजन व्यक्ति की आंखें दान करना चाहते हैं तो मृतक की पहले कोविड जांच कराई जाती है। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उसकी आंखें निकाल कर ट्रांसप्लांट में उपयोग की जा रही है।
किस साल में कितनी आंखें हुई दान
वर्ष आंखें दान ट्रांसप्लांट
2010 635 417
2011 953 465
2012 1023 603
2013 1168 801
2014 1070 638
2015 1001 683
2016 1254 904
2017 1289 777
2018 1221 876
2019 2179 1437
2020 1741 1293