नई दिल्ली। देश से प्लास्टिक उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए संबंधित उद्योगों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनानी होगी ताकि वे पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक बना सके। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से संबद्ध भारतीय प्लास्टिक निर्यात संवर्धन परिषद और अमेरिका की वित्त क्षेत्र की कंपनी ड्रिप कैपिटल ने गुरुवार को यहां एक अध्ययन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहे व्यापारिक तनाव और पर्यावरणीय सरोकारों के कारण भारतीय प्लास्टिक के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा घरेलू स्तर पर मंदी के कारण यह उद्योग बुरी तरह से प्रभावित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्लास्टिक उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनानी होगी और ऐसे उत्पाद बनाने होंगे जो जैविक रुप से नष्ट हो सके और प्लास्टिक का फिर से इस्तेमाल किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक उद्योग को आधुनिक बनाने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी। यदि ये उद्योग इस पूंजी का निवेश स्वयं करेंगे तो कार्यशील पूंजी पर असर पड़ेगा इसलिए इस निवेश के लिए सरकारी स्तर पर नीति बनायी जानी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार भारत को 50 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में प्लास्टिक उद्योग प्रमुख भूमिका निभा सकता है। उद्योग वर्ष 2024-25 तक प्लास्टिक का निर्यात 25 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। भारतीय प्लास्टिक निर्यात में गुजरात और महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन एवं दियू और दादर तथा नगर हवेली से भी प्लास्टिक का निर्यात किया जाता है।