नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की ग्रोथ में 7.5 फीसदी नीचे गिर गई है। यह गिरावट अब तक के सभी विश्लेषकों के अनुमानों से काफी कम है। सभी विश्लेषकों ने 8 फीसदी से 12 फीसदी तक की गिरावट का अनुमान जताया था। सबसे कम अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई का था। इसने 8.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया था। पहली तिमाही में 23.9 फीसदी की गिरावट आई थी। यह आंकड़ा एनएसओ ने जारी किया।
सितंबर की तिमाही में स्थिर प्राइस (2011-12) पर जीडीपी का अनुमान 33.14 लाख करोड़ रुपए आंका गया है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 35.84 लाख करोड़ रुपए था। यानी 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 2019-20 की दूसरी तिमाही में 4.4 फीसदी की ग्रोथ थी।
दूसरी तिमाही में 47.22 लाख करोड़ का अनुमान
सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) से जारी आंकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही के वर्तमान मूल्य पर जीडीपी 47.22 लाख करोड़ रुपए आंका गया है। एक साल पहल इसी अवधि में 49.21 लाख करोड़ रुपए था। इसमें 4 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि एक साल पहले इसमें 5.9 फीसदी की ग्रोथ थी।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था पहली बार आधिकारिक रूप से मंदी के दौर में आई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 3 करोड़ लोग मनरेगा के तहत रोजगार की तलाश में है। अर्थव्यवस्था को तानाशाही के जरिए आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। प्रधानमंत्री को पहले इस बुनियादी बात को समझने की जरूरत है।
- राहुल गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष