अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के बुलन्द दरवाजे पर सोमवार की शाम झंडा चढ़ाने के साथ ही 809वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। इस दौरान अकीदतमंदों ने न सोशल डिस्टेंस की पालना की और न ही मास्क लगाए। उर्स की औपचारिक शुरूआत चांद दिखने पर 12 या 13 फरवरी से होगी। ख्वाजा साहब के उर्स का झंडा चढ़ाने के लिए भीलवाड़ा से आए फखरुद्दीन गौरी के परिवार और रिश्तेदारों का दल असर की नमाज से पहले झंडा लेकर दरगाह की जियारत करने आस्ताना में गया। वहां फूल व चादर पेश करने के बाद झंडा लेकर दरगाह कमेटी के गरीब नवाज गेस्ट हाऊस परिसर में आ गया। इसके बाद ढोल व बैण्ड के साथ झंडे का जुलूस शुरू हुआ। पुलिस प्रशासन ने जुलूस में शामिल होने वालों की सूची बना रखी थी। जिससे अनावश्यक भीड़ जुलूस में नहीं दिखी और धक्का-मुक्की भी नहीं हुई।
मुतवल्ली सैयद असरार अहमद एवं सैयद फारुक अहमद नबीरा की अगुवाई में झंडे का जुलूस निकाला गया। इसके आगे दरगाह की शाही चौकी के कव्वाल असरार हुसैन व उनकी पार्टी ख्वाजा साहब की शान में सूफियाना कलाम पेश करती चल रही थी। जुलूस दरगाह के निजाम गेट पहुंचकर अकबरी गेट से झंडा झुकाकर निकाला गया। बुलन्द दरवाजा पर झंडा ले जाते समय अकीदतमंदों ने उसे चूमने का प्रयास किया, किन्तु पुलिस ने उन्हें पास नहीं आने दिया। बुलन्द दरवाजा के नीचे बड़ी देग के पास खड़े अकीदतमंदों ने भी ख्वाजा साहब की शान में नारे लगाए। इस दरम्यान झंडे को बुलन्द दरवाजा की छत तक पहुंचाया गया। वहां दरगाह मौरुसी अमला के सदस्यों ने पारम्परिक तरीके से खम्भे से बांधकर झंडा फहराया। इसके बाद सभी ने मुल्क की खुशहाली, भाईचारा व कोरोना से मुक्ति की दुआ की। प्रशासन ने बुलन्द दरवाजा की छत पर केवल पासधारियों को जाने दिया।